बड़नगर SDM कार्यालय में नियमों की उड़ रही धज्जियां: बलेडी का चौकीदार मुकेश कर रहा बाबू का कार्य, सरकारी भवन पर भी अवैध कब्जा इंगोरिया में
बड़नगर (विशेष संवाददाता अर्पित नागर ) बड़नगर एसडीएम कार्यालय इन दिनों चर्चाओं का केंद्र बना हुआ है, जहां नियमों और सेवा शर्तों को ताक पर रखकर नियुक्तियां की जा रही हैं। ताजा मामला बलेडी के चौकीदार मुकेश का है, जो नियम विरुद्ध एसडीएम कार्यालय में बाबू का कार्य करता पाया गया है। बताया जा रहा है कि मुकेश को यह पद किसी चयन प्रक्रिया या पात्रता के बिना ही सौंपा गया है।
एसडीएम कार्यालय में ‘रंगा-बिल्ला’ की जोड़ी चर्चाओं में
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, एसडीएम कार्यालय में बाबू औसतवाल और चौकीदार मुकेश की जोड़ी को ‘रंगा-बिल्ला’ कहा जा रहा है, जो हर प्रकार के कार्यों में हस्तक्षेप करती है। मुकेश मूल रूप से बलेडी ग्राम पंचायत का चौकीदार है, जिसे उसके पिता की सेवा के बाद पदस्थ किया गया था। लेकिन अब वह तहसील कार्यालय में बाबू की तरह कार्य कर रहा है।
पूर्व में हटाया गया था, फिर भी हो रही नियुक्ति
जानकारी के अनुसार, मुकेश को पहले इंगोरिया के तत्कालीन नायब तहसीलदार जीएस परिहार द्वारा नियमविरुद्ध कार्य करने और भ्रष्टाचार के आरोप में हटाया जा चुका है। बावजूद इसके, एसडीएम कार्यालय में फिर से उसकी नियुक्ति की गई है। यह साफ दर्शाता है कि कुछ अधिकारियों की छत्रछाया में नियमों को अनदेखा किया जा रहा है।
पटवारी भवन पर अवैध कब्जा
सबसे गंभीर आरोप यह है कि मुकेश ने इंगोरिया में पटवारी के लिए बने शासकीय भवन पर अवैध कब्जा कर लिया है, जबकि उसकी पदस्थापना बलेडी में है। यह सरकारी संपत्ति पर अवैध कब्जे की श्रेणी में आता है, जिसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
चापलूसी और लेन-देन के आरोप
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि मुकेश अधिकारियों की चापलूसी करने में माहिर है और उसी के आधार पर उसे तहसील के महत्वपूर्ण कार्य सौंपे जा रहे हैं। आरोप यह भी है कि वह कार्यों के बदले लोगों से पैसे की मांग करता है। पूर्व में भी इस संबंध में शिकायतें हो चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
क्या कहते हैं नियम?
सेवा नियमों के अनुसार, चौकीदार पद एक वर्ग-4 की नियुक्ति होती है, जबकि बाबू पद के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता और चयन प्रक्रिया निर्धारित होती है। किसी भी वर्ग-4 कर्मचारी को बिना पदोन्नति या चयन प्रक्रिया के बाबू पद पर कार्य कराना नियमों के विरुद्ध है।
प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
इस पूरे मामले पर एसडीएम धीरेंद्र पाराशर की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। लोगों का कहना है कि यदि प्रशासन की निगरानी सही होती, तो ऐसा खुला नियम उल्लंघन संभव नहीं होता। अब देखना यह है कि प्रशासन इस गंभीर प्रकरण पर क्या कार्रवाई करता है।
