बड़नगर सहकारिता संस्था सुवासा में घोटालों की परतें एक-एक कर सामने आने लगी हैं। संस्था में पूर्व में पदस्थ तीन कर्मचारियों—कुबेर चौधरी, रवि पाटीदार और जगदीश बेरिया को छह महीने पहले संस्था के तत्कालीन प्रशासक आशीष शर्मा द्वारा ठगी और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में सेवा से बर्खास्त किया गया था। ये आरोप किसानों द्वारा लगाए गए थे, जिसके बाद तत्काल अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई।
कोर्ट से मिला “यथास्थिति” का आदेश, नहीं हुआ बहाली का कोई सरकारी आदेश
बर्खास्तगी के बाद तीनों कर्मचारी कोर्ट की शरण में पहुंचे जहाँ से उन्हें “यथास्थिति बनाए रखने” का आदेश मिला। लेकिन यह स्पष्ट रूप से बहाली का आदेश नहीं है। कोर्ट के इस स्टे आदेश के बाद सहकारिता विभाग को विधिवत प्रक्रिया के तहत नया आदेश जारी करना था, लेकिन ऐसा कोई दस्तावेज आज तक सामने नहीं आया।
इसके बावजूद ये तीनों कर्मचारी बिना किसी लिखित आदेश के संस्था में न केवल कार्यरत हो गए बल्कि गुंडागर्दी के अंदाज़ में कार्यालय परिसर में जाकर बैठने लगे। उनकी मौजूदगी के फोटो और वीडियो भी सामने आए हैं, जिससे मामले ने और भी तूल पकड़ लिया है।
प्रशासक ने स्पष्ट किया— सेवा में बहाली का कोई आदेश नहीं
जब इस मामले में संस्था के वर्तमान प्रशासक महेश शर्मा से बात की गई तो उन्होंने भी स्पष्ट किया कि सहकारिता विभाग द्वारा इन कर्मचारियों की सेवा में बहाली का कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। ऐसे में यह बड़ा सवाल बनकर उभरता है कि इन कर्मचारियों को किसके आदेश और अधिकार से सेवा में दोबारा जोड़ा गया?
डीआर पाटणकर पर गंभीर सवाल, मौखिक निर्देश से चल रहा सिस्टम?
सूत्रों के अनुसार, इन कर्मचारियों को जिला सहकारिता अधिकारी (डीआर) पाटणकर के कहने पर संस्था में फिर से काम पर ले लिया गया। यदि यह सही है तो यह सहकारिता व्यवस्था की पारदर्शिता और प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। क्योंकि अदालत ने सिर्फ “स्थिति यथावत” रखने को कहा था, सेवा में पुनर्बहाली का आदेश नहीं दिया।
क्या डीआर पाटणकर मौखिक आदेशों से नियमों को दरकिनार कर रहे हैं? यदि ऐसा है तो यह विभागीय अनुशासनहीनता और सत्ता के दुरुपयोग का स्पष्ट उदाहरण है।
एसडीएम कर रहे जांच, दोषियों पर होगी सख्त कार्रवाई
मामले की गंभीरता को देखते हुए बड़नगर SDM धीरेन्द्र पाराशर ने जांच शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि यह गंभीर प्रशासनिक लापरवाही है और दोषियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई की जाएगी।
किसानों में नाराज़गी, संस्था की विश्वसनीयता पर सवाल
इस पूरे घटनाक्रम के कारण किसानों में गहरी नाराजगी देखी जा रही है। संस्था की कार्यप्रणाली और विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं। किसान यह मांग कर रहे हैं कि दोषी कर्मचारियों और उनके पीछे खड़े अधिकारियों पर जल्द से जल्द कार्रवाई हो, ताकि संस्था में पारदर्शिता बनी रहे।
