आज भी देश में बड़ी संख्या में लोग पुराने चश्मों के साथ ही जीवन बिता रहे हैं। इसकी वजह यह नहीं कि उन्हें नए लेंस की ज़रूरत नहीं है, बल्कि इसलिए क्योंकि लेंस बदलवाना अब भी महंगा और झंझट भरा काम माना जाता है। हालांकि, नेत्र विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर लेंस न बदलवाना आँखों की सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। इससे आँखों में तनाव, सिरदर्द, धुंधला दिखना और कार्यक्षमता में कमी जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
खासतौर पर 40 साल की उम्र के बाद ये दिक्कतें और बढ़ जाती हैं। इस उम्र में अक्सर प्रेसबायोपिया नाम की आम समस्या शुरू होती है, जिसमें आँखों की लेंस धीरे-धीरे लचीलापन खोने लगती है, और पास की चीज़ों को साफ देखना मुश्किल हो जाता है। यदि समय रहते इसका समाधान न किया जाए, तो ये रोजमर्रा की ज़िंदगी को प्रभावित कर सकता है और जीवन की गुणवत्ता पर असर डाल सकता है।
चश्मे के लेंस और फ्रेम की कीमतें महँगी होती हैं, जो कि 1,500 से 5,000 रुपए या उससे ज्यादा तक जाती हैं, और यही वजह है कि ज्यादातर लोग अपने चश्मे की पर्ची अपडेट कराने में देरी कर देते हैं। लेकिन, आँखों की सेहत को लेकर हो रही इस अनदेखी में सुधार लाने के लिए लेंसकार्ट ने एक अनोखी पहल की है: फ्री लेंस रिप्लेसमेंट प्रोग्राम। देशभर में पहली बार किसी ब्रांड द्वारा ऐसा कदम उठाया गया है, जिसका उद्देश्य आम लोगों तक नज़र की सही देखभाल पहुँचाना है, वह भी किफायती तरीके से। लेंसकार्ट के 2000 से अधिक स्टोर्स पर चल रहे इस प्रोग्राम के तहत, किसी भी ब्रांड के फ्रेम में नया लेंस मुफ्त में लगाया जा रहा है। साथ ही, सिर्फ 199 रुपए में प्रोफेशनल फिटिंग की सुविधा भी दी जा रही है।
ग्राहक अपने पुराने चश्मे के फ्रेम के साथ किसी भी नज़दीकी लेंसकार्ट स्टोर में जा सकते हैं और तुरंत नया लेंस लगवा सकते हैं। इस प्रोग्राम में हर तरह की जरूरतों के हिसाब से कई विकल्प भी उपलब्ध हैं, चाहे आपको स्क्रीन से बचाव चाहिए, या रीडिंग के लिए बेहतर क्लैरिटी:
बुनियादी दृष्टि सुधार
स्क्रीन यूज़र्स के लिए ब्लू-लाइट फिल्टर वाले लेंस
फोटोक्रोमिक लेंस, जो बदलती रोशनी की स्थिति के अनुकूल होते हैं
स्पष्ट दृष्टि के लिए एंटी-ग्लेयर कोटिंग्स
लेंसकार्ट की यह पहल आँखों की देखभाल में सबसे बड़ी रुकावट, यानि महँगाई और झंझट को खत्म कर रही है। अब लोग बिना किसी पैसों की टेंशन के, अपनी आँखों की जाँच करवा कर समय-समय पर लेंस बदलवा सकते हैं। इससे नज़र से जुड़ी परेशानियों को वक्त रहते ठीक करना आसान हो गया है।
यह प्रोग्राम खासतौर पर छात्रों और नौकरीपेशा लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो रहा है, जो अब तक महँगे खर्च के चलते अपना चश्मा अपडेट कराने से बचते थे। अब उन्हें आसान और किफायती तरीका मिल गया है अपनी आँखों का ख्याल रखने का।
भारत में लगभग 50% आबादी को रिफ्रैक्टिव एरर जैसी नज़र की समस्याएँ हैं, जिनमें बड़ी संख्या में बच्चे भी शामिल हैं। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यदि समय रहते नज़र की जाँच हो जाए, तो अंधेपन और नज़र कमजोर होने जैसी कई समस्याओं से बचा जा सकता है।
फ्री लेंस रिप्लेसमेंट प्रोग्राम के माध्यम से लेंसकार्ट ने एक ऐसा कदम उठाया है, जो लोगों को उनकी आँखों की सेहत को लेकर जागरूक बना रहा है और स्पष्ट दृष्टि को हर भारतीय के लिए आसान और सुलभ बना रहा है।
